उम्र के साथ कविता भी बदलती है. ये २०११ की कविता, मेरे बढ़ने के साथ ये कविता भी बढ़ी है . २०११ की ये पुरानी कविता यहाँ है https://pimpalepatil.blogspot.com/2011/09/blog-post.html?m=1 -- जिंदगी थी जहाँ, है वही आज भी. ढूंड ले हम कहाँ, फिर आपकी सादगी? हर घडी आप हो, याद है हर कही. जिंदगी अब नहीं मिल रही आजसे, कल ही में खो गयी उस रात के बाद से. हम अभी है वहां आप छोड़ निकल गए. सांस भी है वही आप जो दे गए. है अभी इंतजार, फिर उसी शाम का, आपके प्यार का, और नयी बहार का. आप आ-ओ लौट के, हम अभी है वही, आप आ-ओ लौट के, हम अभी है वही. है वही पेड़ भी, पर नही पंछीया छांव है, फूल है, पर नही तितलियां। है नदी आज भी ठीक उसी ही जगह बारिंशो में ले आती है घर कई बे_ इम्तिहान लोग है, भीड़ है, सिर झुकाए घूमते कोई शहंशाह इन्हे कर गुलाम चल गया ये भी है ठीक पर उस भीड़ में तुम नहीं हम यहां है फसे बस अकेले तुम नहीं बस अकेले तुम नहीं। न आओ छोड़ के घर अगर वो ठीक है मैं लाख कहूं की तुम्हें तुम आओ लोट के, तुम आओ लोटके, की तुम आओ लोटके! ...
Comments
अप्रतिम, सुंदर तुमच्या पावसाच्या लिखाणात आम्ही हि भिजलो क्षणभर .. "तो" आणि "ती" मध्ये प्रत्येकजण स्वतःला शोधतहोते .. खूप छान !
@ankit and i knw u will love the post too. get it read from some one who knows marathi ;) that mean's fwd to some one! thanks for the appreciation!
manle bhau tumasni.........
kadak ha..........
ek no.....