NVDIA AI some Insights after digesting the event with some Diwali Delicacies! I had good time at the NVIDIA AI Summit held at the Jio World Center in Mumbai. It felt like every company working on artificial intelligence in India was present, either as an exhibitor or an attendee. Some sessions were so packed that people were standing, and even then, many more were trying to get in. Much of the discussion revolved around Large Language Models (LLMs) and Retrieval-Augmented Generation (RAG). These are undoubtedly central topics in AI today, drawing significant attention. I’m a huge admirer of RAG, but I still wouldn’t go as far as to say that “LLM (+RAG) is AI.” Although no one at the conference explicitly said this, it felt implied over the three days of sessions. I may be wrong, but I sensed a push for these technologies. Not just from NVIDIA, but from any hardware supplier, there’s an incentive to promote anything that drives demand for their solutions. NVIDIA’s GPUs are a backbone o
उम्र के साथ कविता भी बदलती है. ये २०११ की कविता, मेरे बढ़ने के साथ ये कविता भी बढ़ी है . २०११ की ये पुरानी कविता यहाँ है https://pimpalepatil.blogspot.com/2011/09/blog-post.html?m=1 -- जिंदगी थी जहाँ, है वही आज भी. ढूंड ले हम कहाँ, फिर आपकी सादगी? हर घडी आप हो, याद है हर कही. जिंदगी अब नहीं मिल रही आजसे, कल ही में खो गयी उस रात के बाद से. हम अभी है वहां आप छोड़ निकल गए. सांस भी है वही आप जो दे गए. है अभी इंतजार, फिर उसी शाम का, आपके प्यार का, और नयी बहार का. आप आ-ओ लौट के, हम अभी है वही, आप आ-ओ लौट के, हम अभी है वही. है वही पेड़ भी, पर नही पंछीया छांव है, फूल है, पर नही तितलियां। है नदी आज भी ठीक उसी ही जगह बारिंशो में ले आती है घर कई बे_ इम्तिहान लोग है, भीड़ है, सिर झुकाए घूमते कोई शहंशाह इन्हे कर गुलाम चल गया ये भी है ठीक पर उस भीड़ में तुम नहीं हम यहां है फसे बस अकेले तुम नहीं बस अकेले तुम नहीं। न आओ छोड़ के घर अगर वो ठीक है मैं लाख कहूं की तुम्हें तुम आओ लोट के, तुम आओ लोटके, की तुम आओ लोटके! - प्र. बा.